एक अरसे से देख रहा हूँ और इस से विचलित भी हूँ ।
तोड़ो भारत की राजनीति करनेवाले कुछ मुस्लिम, जो सिर्फ पैदा यहाँ हुए हैं लेकिन भारत तोड़ने की मंशा रखते हैं, आज कल हिंदुओं में जातिवाद को ले कर सोशल मीडिया पर काफी आक्रामक हो रहे हैं। हर जगह हिंदुओं में केवल फूट डालने की नियत से जातिवाद को ले कर ऊटपटाँग सवाल कर देते हैं । अगर आप उनको उनके सवालों की पुष्टि करने को कहें तो सीधा प पू डॉ बाबासाहेब आंबेडकर का हवाला देते हैं, कि उन्होनें ऐसे लिखा है । उसका भी रिफ्रेन्स देने की इनकी दिमागी कुव्वत या औकात नहीं होती, बस फेंक देते हैं जो उनके मजहबी उसूलों से उनके लिए जायज भी माना जाता है । वैसे सय्यद -शेख-पठान जैसे विदेशी नस्ल के अशरफ और देसी मूल के पासमांदा मुसलमानों में भेदभाव क्यूँ है उसका उत्तर वे देंगे नहीं, या अगर पूछा जाये तो बोल देंगे कि ऐसा कुछ होता ही नहीं । झूठ बोलना जायज तो है ही ।
वे अच्छी तरह जानते हैं कि वे निपट झूठ बोल रहे हैं और इतिहास संशोधको के मत प पू डॉ आंबेडकर के निष्कर्षों की पुष्टि नहीं करते । उनका इरादा तो सिर्फ हमारे दलित भाई और हमारे बीच झगड़ा कराने का होता है । क्योंकि जैसे ही अगर कोई कहे कि बाबासाहेब के नाम पर कही जानेवाली यह बात सत्य नहीं लगती, किसी फर्जी दलित ID से कोई चिल्लाता है कि ये बाबासाहब का अपमान है। बस, हो गया – दलित वैसे ही बिफरते हैं जैसे मुस्लिम जब उन्हें कुरान और रसूल के बारे में कुछ आपत्तीजनक सवाल पूछे जाएँ ।
फिर क्या होना है, हिंदुओं के बीच ही लड़ाई शुरू हो जाती है और ये प्रेक्षक बन कर मजा लूटते हैं । कहीं समझदारी काम करती दिखी तो दलित भाइयों को उकसाने के लिए ये सज्ज ही बैठे होते हैं ।
ये दलित भाइयों को इतिहास के बारे में झूठी जानकारी दे कर उकसाते रहते है, और सदियों तक उनके हाथों दलितों ने क्या भुगता है ये छिपाते हैं । कुछ जातियाँ इनके अत्याचारों के कारण आज दलितों में गिनी जाती है ये बात ये हमेशा छुपाए रखते हैं । सब से दुखद बात ये है कि हमारे दलित बांधव इन झूठी बातों के झांसे नें आ जाते हैं । बाबासाहब ने शिक्षा का महत्व सर्वोपरि बताया था, वो अगर आत्मसात हो तो ऐसे देशद्रोहियों के झूठ का सामना सच्चाई से हो ही जाएगा ।
हमारे आंबेडकारवादी भाइयों को चाहिए कि एक बार प पू डॉ बाबासाहब के “Thoughts On Pakistan” का भी अभ्यास करें तो उनकी चेतावनी तुरंत समझ में आएगी । ये बात मननीय है कि ये देशविरोधी मुस्लिम जो आप के दोस्त बनाने का दावा करते हैं वे नहीं चाहते कि आप ये किताब पढ़ें ।
वैसे, क्या आप ने कभी ये भी सोचा है कि प पू डॉ आंबेडकर जैसे स्वतंत्र बुद्धिमत्ता का व्यक्ति केवल हिन्दू धर्म में ही क्यों पैदा हुआ, इस्लाम में आज तक क्यों पैदा नहीं हुआ जो उनके कुरीतियों पर प्रहार करे, धर्मग्रंथ को लेकर जो रास नहीं आता उस पर सवाल करे? क्योंकि उनके यहाँ खुद को गुलाम मानने में ही धन्यता मानी जाती है । पूछ लो कभी !
आइये, एक हो कर देश के शत्रुओं का सामना करें । झूठ से बचें ।
इस पोस्ट को शेयर करने का अनुरोध क्यों है ये कहना जरूरी है? हम सब के अगली पीढ़ी का सवाल है ।
Thoughts On Pakistan यहाँ मुफ्त उपलब्ध है।
और भी जगह से मिलेगी। अगर किसी को हिन्दी ऑनलाइन एडिशन का पता है तो कृपया कमेन्ट बॉक्स में लिंक दें ।
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